‘श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति’ का गठन 1939 ACT के अनुसार किया गया। श्री केदारनाथ भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग है। श्री बदरीनाथ मन्दिर जो हिंदू तीर्थ के सबसे प्रमुख पवित्र स्थानों में से एक है, उत्तराखण्ड में गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले में हिमालय की ऊंचाई पर स्थित है। 1899 की व्यवस्था के क्रम में श्री बदरीनाथ मन्दिर का प्रबंधन रावल जी के पास था साथ ही टिहरी दरबार को कुछ पर्यवेक्षी शक्ति प्रदान की गई थी। उक्त व्यवस्था की दोषपूर्ण प्रकृति के कारण रावल जी और टिहरी दरबार के बीच मतभेद होना प्रारम्भ हो गया। जिस कारण, मन्दिर के पर्यवेक्षण को नुकसान उठाना पड़ा एवं तीर्थयात्रियों की सुविधा की भी उपेक्षा होने लगी साथ ही मन्दिर की आय को भी नुकसान हुआ। 1928 में ‘हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती समिति’ द्वारा उक्त प्रबंधन मे सुधार हेतु सरकार से आग्रह किया गया। परिणामस्वरूप सरकार द्वारा 1939 में 'श्री बदरीनाथ अधिनियम' के रूप में एक राजपत्र अधिसूचना प्रस्तुत की गई एवं कुछ समयोपरान्त श्री केदारनाथ मन्दिर भी उक्त अधिनियम मे समलित कर ‘श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति’ का गठन हुआ।